समुन्दर का शिकारी : सम्राट मार्टिन की सल्तनत(भाग - 16)
"मुझे मालूम है, तुम तीनो मेरा शुक्रिया अदा करने आए हो.. कोई बात नही, अहसान रहा मेरा तुम तीनो तुच्छ प्राणियों पर.."
"शुक्रिया तो हम बहुत अच्छे से अदा करेंगे तेरा..."नायर नें कहा और फिर पीछे से आते हुए राज को आवाज़ दी... "राज जरा शुक्रिया अदा करना तो इसका..."
नायर का इतना कहना था की राज नें एक बन्दूक रॉन के सर से सटा दी... वहा मौजूद सभी लोग ये नजारा देख कर दंग रह गए...
"बच्चे ये बन्दूक है, कोई खिलौना नही.. दूर कर मेरे सर से.."अपने सर पर तनी हुई बन्दूक को तिरछी आँखों से देखते हुए रॉन ने कहा
"अरे अंकल... आप फ़िक्र मत करो.. मै आपको डरा नहीं रहा बल्कि... आपको बन्दूक से ही मारूंगा... पर इस सामान्य से बन्दूक से नहीं.. "राज बोला
"अबे ये क्या कर रहे... इससे सिर्फ माफ़ी मगवाने की बात हुई थी कि इसने नायर को नीचे क्यों फेका... इसे मारने की बात कहा से आ गई.. भूल गए क्या, इसने हमारी जान बचायी है..."आदित्य वहा मौजूद बाकी लोगो का रॉन के प्रति रवैया देख अचंभित रह गया ..
"ये आदमी सही बोल रहा है.. मैने तुम लोगो की जान बचायी है.. ये क्या धोकेबाजी है"
"धोखा तूने दिया है.. मुझे पहले दिन ही समुन्दर मे नीचे गिरा कर..."
"तुम गलतफहमी का शिकार हो कप्तान.. मैने तो तुझे हाथ भी नहीं लगाया था.. अब तुम ही चुतियो कि तरह लंगड़ा कर नीचे गिर गये... तो इसमें मेरी क्या गलती है... वरना यदि तुझसे छुटकारा पाना होता तो मेरे पीठ मे तिरछी बँधी बन्दूक से मै तुझे जिन्दा जला सकता था..."
"बहुत सही... इसके साथ ऐसा ही करना चाहिए.."रिया भी जहाज के अंदर से निकलते हुए गुस्से मे बोली और एक तमाचा रॉन के गाल पर जड दिया
"जानेमन.. तुम्हारा वार भी प्यार है हमारे लिए... वैसे इसकी कोई खास वजह..? देखा जाए तो तुम्हारी जान भी मैने ही बचायी थी कुछ देर पहले..जब तुम रॉन.. रॉन चिल्लाकर भाग रही थी.. इतनी भूल गई क्या...?."
"तुमने हमें नही बचाया... तुम्हारी बन्दूक नें हमें बचाया... "सेठ बीच मे बोला "मैने बोला था, बन्दूक मुझे दिखा दे.. यदि उस दिन तू मेरी बात मान जाता तो शायद ये नौबत नहीं आती..."
"यदि उस दिन तुझे मै अपनी बन्दूक दिखा देता तो.. ये नौबत बहुत पहले आ गई होती..."मुस्कुराते हुए उन सबको देखते हुए रॉन बोला "वैसे.. मुझे तो अंदाजा नही था की तुम सब अंदर ही अंदर मुझसे इतना प्यार करते हो... वरना मै भी मौका रहते हुए प्यार दिखाता.. मुझे तुम लोगो को बचाना ही नही चाहिए था.. खैर, ये पहली बार नहीं है, जब मुझे धोखा मिला हो और वैसे कोई बात नही, आख़िरकार इंसान अपनी गलतियों से ही सीखता है ना.. "
"कितना बोलता है ये... चुप साले... "रॉन के कमर मे बँधी हुई उसकी बन्दूक निकालकर राज बोला "कप्तान नायर, आप कहो तो इसे यही जला दू.."
"शुभ काम मे देरी कैसी... "नायर वहा से पीछे हटते हुए बोला और उसे ऐसा करते देख बाकि के लोग भी अपनी -अपनी जगह से पीछे हट गए... आदित्य नें इस बात का विरोध किया, लेकिन उसकी बात ना तो किसी नें सुनी और ना ही किसी ने कोई तवज्जो दी...
"मै क्या बोलता हूँ... जानेमन, एक बार जिन्दा जलाने से पहले मुझे अपने गले लगाकर चुम्बन दे दो..."अपने दोनों हाथ ऊपर खड़े करके रॉन ने रिया को आँख मारी और अपनी हथेलियों से रिया को गंदे -गंदे इशारे करने लगा
"राज, ट्रिगर दबाओ... और भून दो साले हरामी को "रिया बोली..
"अबे पगला गए हो का.... अहसान फरामोशो... ये क्या कर रहे हो.."आदित्य फिर से उन सबको रोकने का प्रयास किया, लेकिन इस बार भी विफल रहा...
राज नें बन्दूक को रॉन के सर से सटाया और ट्रिगर बस दबाने ही वाला था की रॉन फिर से बोल पड़ा...
"आखिरी ख्वाईश...?"
"क्या. ये क्या होता है.."राज नें पूछा...
"आखिरी ख्वाईश... अपनी जान बचाने का इतना तो मोल अदा कर दो.."रॉन अपने दोनों हाथ ऊपर किये हुए ही बोला...
"चल बता... क्या है तेरी आखिरी ख्वाईश.."नायर हँसते हुए बोला...
"मुझे तुम सबका चेहरा एक बार अच्छे से देखना है, ताकि अगले जन्म मे तुम सबसे अपना बदला ले सकूँ..."
रॉन की बात सुनकर वो सब हसने लगे यहाँ तक की जहाज मे मौजूद बाकि के लोग भी...
"Wish granted..."रॉन के ऊपर हसते हुए रिया बोली
"तुम्हारा दिल बहुत बड़ा है रिया जानेमन.. मै इसे हमेशा याद रखूँगा.."रॉन नें अपने दोनों हाथ ऊपर करते हुए सामने खड़े उन लोगो की शक्ल देखी और फिर आहिस्ते आहिस्ते दो कदम आगे आने के बाद पीछे मुड़ कर अपने ऊपर अपनी ही बन्दूक ताने हुए राज को देखा... उसने राज को और उसके शरीके निशानो को कुछ पल गौर से देखा और मुस्कुराया.. मानो उसे राज के शरीर मे बने उन निशानो का रहस्य मालूम हो...? और फिर वापस नायर की तरफ यानी सामने घूम गया...
"तुम लोगो के पास दिमाग़ नही है, जो मेरी आखिरी ख्वाईश मान ली..? और नायर तु बेलाडोना का तो क्या एक छोटी नाव का नाविक बनने के लायक़ भी नही है... कैप्टन आदि... तुमने इन मक्कारो के सामने मेरा समर्थन किया उसके लिए शुक्रिया... यदि जान सलामत रही तो मै तुम्हे मुर्दो के जहाज मे सैर जरूर करवाऊंगा.. पर उसके लिए तुम्हे मेरे साथ नीचे कूदना पड़ेगा..."
"नीचे कूदना पड़ेगा...... मतलब... "आदित्य अभी ये दोहरा ही रहा था की रिया बोली..
"राज भून डालो इसे .. जल्दी से..."
तब तक आदित्य को रॉन का प्लान समझ आ गया, वो समझ चुका था की रॉन उसे उसके साथ आने के लिए कह रहा था. आदित्य नें राज को धक्का दिया और राज के हाथ से बन्दूक छूटते ही रॉन बेलाडोना से नीचे कूदने के लिए जहाज के किनारे की तरफ भागा. जिसके तुरंत बाद रॉन के पीछे पीछे आदित्य भी भागा... आदित्य को खुद नही पता की वो ऐसा क्यों कर रहा था.. क्यूंकि जान तो उसकी राज नें भी बचायी थी, आइलैंड मे ... उसने ज्यादा सोचा भी नही और रॉन के पीछे पीछे वो खुद भी समुन्दर मे कूद गया... इधर जहाज मे बाकी सभी अपना मुँह फाड़े, स्तम्भ होकर रॉन को रोकने कि बजाय उसे समुन्दर मे कूदते हुए देखते रहे
जिसके बाद जब रिया चीखी तो जहाज मे मौजूद बाकि के लोग ना चाहते हुए भी रॉन और आदित्य पर निशाना लगाने लगे पर उन दोनों कोई नामो निशान तक नही मिला.. दोनों पता नही समुन्दर के अंदर कहा गायब हो गए, जिसके बाद नायर ने बेलाडोना को पूरी रफ़्तार मे आगे बढ़ाने का आदेश दिया....
"बहुत बड़ा शिकारी कहता था खुद को.. अब समझ मे आएगा जब ठण्ड से इस समुन्दर मे दम तोड़ देगा... साला, कमीना... रॉन "रिया नें मन मे सोचा...
बेलाडोना के तुरंत आगे बढ़ जाने के बाद रॉन और आदित्य समुन्दर मे बाहर निकले और गोते लगाते हुए एक तरफ बढ़ते गए...
"अबे हम जा कहा रहे..."
"यदि मै सही हु तो.."अपने जेब से नक्शा निकलते हुए रॉन बोला.. जो की गीला हो चुका था... उसने बड़े आहिस्ते से उसे खोला और चारो तरफ देख कर बोला "इस तरफ...."
रॉन ने कई दफा बीच समुन्दर मे अपने नक़्शे को खोलकर बार बार देखा... उड़ने वली चिड़िया और समुन्दर कि मछलियो से बड़बड़ाते हुए जिधऱ उसका मन करता उधर ही बढ़ जाता और उसके पीछे -पीछे आदित्य... अब आदित्य को आभास होने लगा था कि उसने रॉन का साथ देकर बहुत बडी गलती कर दी थी..
"साला, मेरी भी मति मारी गई थी... यदि बेलाडोना मे होता तो मस्त शाही पकवान खा रहा होता और एक नग्न स्त्री मेरी सारी थकान मिटाने के लिए तत्पर खड़ी रहती.. क्या मजा आता.. लेकिन नहीं... मुझे ही मुर्दो का जहाज नाम सुनकर इसके पीछे आने कि चुल मच गई... सोचा था.. इस साले को बहुत कुछ मालूम होगा.. लेकिन ये तो कभी आसमान मे उड़ती हुई चिड़िया से बात करता है तो कभी समुन्दर कि मछलियो से... और जब ये दोनों ना मिले तो हवा से बात करने लग जाता है... मेरा क्या होगा... कोलकाता कि वेश्याखाने कि एक लड़की से turu love है मुझे... लगता है उसे देखे बगैर मर जाऊंगा... So sad..."
कई घंटो की मशक्कत के बाद उन्हें समुन्दर मे बहता हुआ एक लकड़ी का पटरा दिखाई दिया... जिसके सहारे कभी आदित्य समुन्दर मे रॉन के बताए दिशा मे बढ़ता तो कभी रॉन खुद... और फिर अंततः
.
वो वहा पहुचे.. जहा रॉन पहुंचना चाहता था....
"ये कौन सा आइलैंड है... ये हम कहा आ गए है..."आदित्य नें रॉन से पूछा..
"तुम्हे ये नहीं पूछना चाहिए की हम कहा आए है.. बल्कि ये पूछना चाहिए कि हम यहाँ क्यों आए है, चल....सब मालूम हो जायेगा. ये है पैल्लोरा... यहाँ के बारे मे ज्यादा तो नही मालूम पर यहाँ की लड़किया बहुत हसीन होती है, ऐसा मैने सुना है..."
"अरे वाह.. तु तो अपुन के माफिक़ ठरकी है... जमेगी अपनी दोनों की.."
"मै तेरे माफिक़ नही, तु मेरे माफिक है..."
अपने कपडे से पानी झाड़ते हुए रॉन और आदित्य नें पैल्लोरा के अंदर प्रवेश किया...
******
*****
बेलाडोना मे नायर, सेठ, राज और रिया अब रॉन के कमरे की तलाशी ले रहे थे.. उन्हें रॉन के बन्दूक मे उपयोग होने वाली हरे रंग की बारूद का बक्सा मिला .. जिसे देख वो खुश हो उठे.
"रॉन यदि इस ठण्ड मे बच गया तो.. इस सबक को जिंदगी भर याद रखेगा... वो बिना बन्दूक के किसी काम का नही... यही अंत है महान समुन्दर के शिकारी का..."बारूद के बक्से को खोलते हुए रिया ख़ुशी से बोली
"मैम, उसने तो आज समुन्दर मे जल समाधि ले ली.. वरना मै उस कुत्ते के पिल्ले को गोलियों से भून देता, साला हरामजादा... साले ने मुझे नीचे गिराया था..."
"अब छोडो रॉन को और बेलाडोना के बारे मे सोचो.. लगातार ड्रैगन्स के दो हमलो नें जहाज की हालत खस्ता कर दी है..."
"आप उसकी फ़िक्र छोड़िये... बेलाडोना पर मरम्मत का काम चल रहा है.."
सेठ अब भी रॉन के रूम कि तलाशी ले रहा था, वो रॉन के बिखरे हुए कपड़ो को तलाशने लगा.. तभी उन कपड़ो मे से कागज का एक टुकड़ा वही नीचे ज़मीन पर गिर गया.. सेठ की नजर उस गिरते हुए कागज के टुकड़े पर पड़ी...
"ये क्या है..."सेठ का इतना बोलना ही था की, राज नें कागज के उस टुकड़े को उठा लिया
"असंभव... है ये...."राज उस कागज के टुकड़े को देख सिर्फ इतना बोला
"क्या असंभव है...? ऐसा क्या है इसमें..."राज के बगल मे खड़े होते हुए रिया बोली और इस दौरान रिया का शरीर, राज से स्पर्श हो गया... जिसके तुरंत बाद रिया राज से थोड़ा सा दूर हो गई...
"यदि मेरा अंदाजा सही है तो ये, एक बहुत प्राचीन नक्शा है... इसमें जो ड्रैगन के सर को काटते हुए तलवार का जो चित्र बना है.. वो प्राचीन समुद्री सल्तनत कि ओर इशारा करता है...."
"प्राचीन समुद्री सल्तनत...???"
"मार्टिन नाम का एक समुद्री सम्राट था, उसके बारे मे कई किस्से कहानियाँ सुनी है मैने.. उसने समुन्दर के सभी भागो का नक्शा बनवाया था... इस तरह के केवल तीन नक़्शे थे. पहला मेरे हाथ मे है... दूसरा यदि कहानियो कि माने तो मॉर्गन के पास है जो उसने मार्टिन से छीन लिया था और तीसरा..."
"और तीसरा..."नक्शा देखते हुए रिया फिर थोड़ा राज के करीब आयी और फिर से उसका शरीर राज से स्पर्श हो गया...
"इसका तीसरा भाग.. यानी की सबसे महत्वपूर्ण भाग... जो खुद मार्टिन उपयोग करता था. कहते है की समुद्री सम्राट मार्टिन के पास एक अदभुत जादुयी जहाज था.. जिसे वो सिर्फ युद्ध मे इस्तेमाल करता था. उसने कई युद्ध अकेले अपने उस जहाज के दम पर जीते थे और फिर अंततः समुद्री सम्राट की पदवी उसने धारण की... पर कहते है की एक समय बाद सब ख़त्म हो गया... सम्राट मार्टिन की सल्तनत तबाह हो गई... उसे जान से मार दिया गया... उसके जहाज को भी उससे छीन लिया गया.."
"बस कर... सम्राट मार्टिन के चमचे... हमें ये झूठी किस्से कहानियो मे कोई दिलचस्पी नही है... कुछ काम की बात बता "नायर बोला
"ये सत्य है.. कैप्टन.. मार्टिन की सल्तनत वास्तव मे थी और उसका राज्य भी और उसका जहाज भी..."
"He.. He.. यदि ये सच है तो फिर ये बता की तेरे उस मार्टिन का वो जादुयी जहाज कहा है इस वक़्त... और ये मत कहना की डूब गया या ख़राब हो गया..."
"जैसा की मैने सुना है.. मार्टिन अपने जीवन के आखिरी युद्ध मे बुरी तरह पराजित हुआ था.. जिसके बाद उसे जिन्दा दफना दिया गया था, कहते है कि वो एक तानाशाह बन चुका था और जिन लोगो को मार्टिन को ज़िंदा दफ़नाने का कार्य सौंपा गया था.. वो फिर मार्टिन के जहाज... The Spiritual ship~ दी स्पिरिचुअल शिप को लेकर वहा से निकले.. लेकिन उन लोगो को ये मालूम नही था की.. स्पिरिचुअल शिप सम्राट मार्टिन के उस नक़्शे से चलती थी.. जो की गुमनाम हो चुका था.. स्पिरिचुअल शिप मे मौजूद रूहो नें उस जहाज को समुन्दर मे उन सभी जिन्दा आदमियों के साथ दफ़न कर दिया "
"बहुत कुछ जानते हो तुम... समुन्दर के बारे मे..."मंद -मंद एक रहस्यमई मुस्कान के साथ रिया सिर्फ इतना बोली, रिया के इस मुस्कान के पीछे कि वजह कोई जान नहीं पाया... खुद राज भी नहीं..
"बचपन से यही पला बड़ा हूँ और वैसे भी मुझे समुन्दर का शिकारी यूँ ही नही कहते... जिसे आप लोग समुन्दर का शिकारी समझते थे.. वो तो बहरूपिया था.."
Other WebseriesBy Me~~~ 8TH SEMESTER !
Do Read and Reaview😍
Fauzi kashaf
02-Dec-2021 11:29 AM
Good
Reply
Ammar khan
30-Nov-2021 12:05 PM
Good
Reply
Hayati ansari
29-Nov-2021 08:20 AM
Wah
Reply